THE BASIC PRINCIPLES OF BAGLAMUKHI SHABHAR MANTRA

The Basic Principles Of baglamukhi shabhar mantra

The Basic Principles Of baglamukhi shabhar mantra

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द्वि-भुजी बगला ( पीताम्बरा ध्यान मंत्र ) मध्ये सुधाऽब्धि-मणि-मण्डप-रत्न-वेद्याम्, सिंहासनोपरि-गतां परि-पीत-वर्णाम् ।

हस्ताभ्यां पाशमुच्चैरध उदित-वरां वेद-बाहुं भवानीम् ।।

ऋषि श्रीकालाग्नि-रुद्र द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

Benefits: This mantra is often chanted to hunt the divine safety of Goddess Durga. It's thought to produce a shield of constructive Vitality round the chanter, safeguarding them from negative influences and evil spirits.

साधना अष्टमी को एक दीपक में सरसों के तेल या मीठे तेल के साथ श्मशान में छोड़े हुए वस्त्र की बत्ती बनाकर जलाएं। विशेष दीपक को उड़द की दाल के ऊपर रखें। फिर पीला वस्त्र पहनकर और पीला तिलक लगा कर हल्दी से उसकी पूजा करें। पीले पुष्प चढ़ाएं और दीपक की लौ में भगवती का ध्यान कर बगलामुखी के मंत्र का एक हजार बार तीनों शाबर मत्रं से किसी भी एक का जप करें।तथा मद्य और मांस का भोग लगाएं।

Shabar mantras are a type of recitation present in the Indian mystical tradition of tantra. These mantras are believed being strong and powerful in obtaining precise needs when chanted with devotion and sincerity. Here are several of the different and essential types of Shabar mantras:

माँ पिताम्बरा बगलामुखी के यह मत्रं अपने आप में चमत्कृत है। बगलामुखी तत्रं साधना के लिए विशेष कौलाचार्य क्रम दीक्षा का विधान है। परन्तु यहा शाक्त, शैवों, नाथों द्वारा शक्ति उपासना अत्यधिक सहज तो है परन्तु शमशान आदि में साधना विशेष प्रभाव शाली है जो गुरू द्वारा बताएं मार्ग से ही प्राप्त है।

We strategy this exercise with the utmost devotion and sincerity by sticking to its particular guidelines and maximising the opportunity for improve and check here development.

इस परिशिष्ट में जिन मन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है, वे लोक- परम्परा से सम्बद्ध भगवती-उपासकों द्वारा पुनः-पुनः सराहे गए हैं। इन मन्त्रों का प्रभाव असंदिग्ध है, जबकि इनके साधन में औपचारिकताएं नाम मात्र की हैं। यदि भगवती बगलाम्बा के प्रति पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा-भाव रखते हुए इन मन्त्रों की साधना की जाए, तो कोई कारण नहीं है कि साधक को उसके अभीष्ट की प्राप्ति न हो।

कम्बु-कण्ठीं सु-ताम्रोष्ठीं, मद-विह्वल-चेतसाम् ।

नृ-मुण्ड-रसनां बालां, तदा काञ्चन-सन्निभाम् । पीतालङ्कार-मयीं, मधु-पान-परायणाम् ।

शमशान भूमि पर दक्षिण दिशा की तरफ़ एक त्रिकोण बना कर त्रिकोण के मध्य में शत्रू का नाम उच्चारण करते हुए लोहे की कील ठोकने पर शत्रू को कष्ट प्राप्त होता है,

oṃ malayācala bagalā bhagavatī mahākrūrī mahākarālī rājamukha bandhanaṃ grāmamukha bandhanaṃ grāmapuruṣa bandhanaṃ kālamukha bandhanaṃ cauramukha bandhanaṃ vyāghramukha bandhanaṃ sarvaduṣṭa graha bandhanaṃ sarvajana bandhanaṃ vaśīkuru huṃ phaṭ svāhā।

ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय।

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